मुहब्बत दिल से करते हैं, सदा मुस्कान रखते हैं
फ़क़ीरी में भी हम अपनी निराली शान रखते हैं
सियासी दाव से दंगे करानेवाले ही अक्सर
अदब-ओ-आबरू के नाम का लोबान रखते हैं
कोई आँधी हमें घरमें डराकर रख नहीं सकती
ज़िगर में हम सदा टीपू अली सुल्तान रखते हैं
मेरे भारत की सरहद इसलिए महफूज़ हैं यारों,
यहाँ माँ के हथेली पे सिपाही जान रखते हैं
दिवाली मैं मनालूगाँ तो तुम भी ईद करलेना
बदलके नाम अपना शाने हिंदोस्तान रखते हैं
– एजाज शेख