कूछ तो हे
जो ये आँखे बया करना चाहती हे
किसीं गली की चिंखे
किसीं गाव की चिंखे
किसीं बस्ती की चिंखे
किसीं शेहेर की चिंखे
किसी लडकी की चिंखे
किसीं बच्चे की चिंखे
किसीं मजदूर की चिंखे
किसीं शोषित की चिंखे
बहोत कुछ देखा हे इन आँखो ने
बहोत कुछ समाया हे इन आँखो मे
ये आँखे गवाह हे ऐसे ही अत्याचारोनके खिलाफ
बस इसे ऐसे ही संभलंके रखना
नजाने अगला कत्तल
इन आँखो का हो जाये
– नामदेव येडगे