भारत एक गौरवशाली देश, जिस देश को आज़ाद करवाने में हमारे इतने जवान शहीद हुए उस आजादी के समय से अब तक इस देश में इतने गौरवशाली परिवर्तन किये गए हैं जिन परिवर्तनों को विस्तारित रूप से बताया तो नहीं जा सकता परन्तु कुछ परिवर्तन इतने आश्चर्यजनक सिद्ध हो सकते हैं जिनके कुछ पहलुओं को बताया जाना अपने आप में गौरव का अनुभव करवाता है। इन्ही गौरवशाली परिवर्तनों में से एक है हमारे भारतीय रेलवे का इतिहास। इस इतिहास की पहल 19वीं शताब्दी, 1832 में मद्रास से की गयी। देश की सबसे पहली रेलवे, मद्रास की लाल पहाड़ियों से चिन्ताद्रीपेठ सेतु तक 1837 में चलाई गयी यह विषेशतः सेतु के निर्माण में लगने वाले सामान का निर्यात करने के लिए शुरू की गयी थी।
इस शताब्दी में निर्यात को लेकर ही रेलवे का निर्माण किया गया। इस रेलवे के बाद सबसे पहली यात्रीगण रेलवे 16 अप्रैल 1853 में 3 भाप गतिविशिष्ट साहिब, सिंध तथा सुलतान द्वारा चलाई गयी थी। यह रेलवे बॉम्बे के बोरबन्दर तथा थाने के बीच चलाई गयी थी जिसमें करीब 400 यात्रियों के बैठने तथा यात्रा करने का प्रबंध किया गया था। इस रेलवे की लाइन 34 किलोमीटर तक बिछाई गयी थी। इस रेलवे का संचालन महान भारतीय प्रायद्वीपीय रेलवे द्वारा किया गया था। इसी प्रकार धीरे धीरे वर्षों के आगे बढ़ते बढ़ते रेलवे में भी विशेषताएँ बढ़ती गयी। स्वतंत्रता मिलने से पूर्व रेलवे के इतिहास को शताब्दियों ने वर्गीकृत होकर विस्तारित रूप से इसके एक एक पहलुओं को बताया है। 1832 से 1852 तक भारत में औद्योगिक रेलवे का संचालन किया गया। 1853 से 1924 तक यात्री रेलवे का विस्तार किया गया। इस विस्तार के पश्चात रेलवे में विद्युतीकरण का विस्तार किया गया जिसके बाद 1951 से 1983 तक आंचलिक पुनर्गठन के विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया जिससे तेज़ आवागमन के विकास की प्रक्रिया आगे बढ़ी। सरकार द्वारा आरम्भ से ही रेलवे को लेकर बहुत से परिवर्तन लाये गए हैं जो जनता के हित को प्रदर्शित करता है। भारतीय रेलवे द्वारा 31 मार्च 2017 को यह घोषणा की गयी थी की 2022 तक आते आते रेल जाल तंत्र को विद्युतीकरण से पूर्णतः निर्मित कर दिया जाएगा जिस विकास का एक गौरवशाली भाग भारत में बुलेट ट्रेन लाने का निर्णय है। इस निर्णय पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा भारतीय रेलवे मंत्री पियूष गोयल अपना ध्यान केंद्रित किये हुए हैं जो अवश्य ही भारतीय रेलवे के इतिहास को आगे बढ़ाने में सफल सिद्ध होगा।
– जयंती झा, प्रतिनिधी