मै जिस दाैर से गुजर रहा हूं
उस दाैर की बात न कहूं तो क्या कहूं ?
खून से लथपथ पथ
युद्धरत जनपथ
अाैर घर की बात न कहूं तो क्या कहूं ?
इतिहास की सच्चाई बताउंगा
तो अाप खामखा रुठ जाअोगे
अापके चरित्र से परदा उठाऊंगा
तो शर्मसार होकर टूट जाअोगे
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सबको पता है
अापका करतब क्या
इज्जत क्या
अाैर क्या है सोच
मै कवी हूं , कवी हूं मै !
कविता का फर्ज ना निभाऊ तो क्या कहूं ?
– वीरा राठोड